Tuesday 31 March 2020

कोरोना के दो मरीज ठीक हुए, एक और नया मरीज आया सामने

- रायपुर की युवती हुई संक्रमण की शिकार
- एम्स में कराया गया भर्ती
राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमण का नया मरीज सामने आए है। डीडी नगर इलाके की एक युवती कोरोना वॉयरस से संक्रमित पाई गई है। उसे एम्स में भर्ती कराया गया है। यह युवती भी लंदन से लौटी थी। और पिछले कुछ दिनों से होम आइसोलेशन में रखा गया था। पीडि़त युवती को मिलाकर अब तक रायपुर में 5 कोरोना पॉजीटिव सामने आ चुके हैं, जो लंदन से लौटे हैं। दूसरी ओर अच्छी खबर यह है कि कोरोना से पीडि़त दो मरीज ठीक हो गए हैं। उन्हें एम्स से छुट्टी दे दी गई है। प्रदेश से कुल 8 मरीज पॉजीटिव पाए गए थे, जिनमें से दो को मंगलवार को छुट्टी दे दी गई। इस बीच एक और मरीज मिलने से पीडि़तों की संख्या 7 हो गई है।

कोरोना का कहर : गलती पासपोर्ट वालों की और भुगत रहे हैं राशनकार्ड वाले

गलती पासपोर्ट वालों ने की और उसकी सजा प्रदेश के राशनकार्ड वाले भुगत रहे हैं। अप्रत्यक्ष रूप से उनकी रोजीरोटी छिन गई। बेरोजगार हो गए। आर्थिक तंगी ऐसी आ गई कि घर में दो समय चूल्हा भी नहीं जल पा रहा है। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो गई। घर में कोई बीमार हो, तो उसका उपचार कराना भी मुश्किल हो गया है। कुछ दिन और ऐसे ही चलता रहा, तो गरीब कोरोना से नहीं भूख और आर्थिक तंगी से मर जाएंगे। 
दरअसल रायपुर सहित प्रदेश के करीब 80 फीसदी धनाढ्य वर्ग, नेता और अफसरों के रिश्तेदार और बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं। कामधंधा करते हैं या फिर घूमने-फिरने जाते रहते हैं। वहां ऐशोआराम की जिंदगी जीने के बाद इन्हें रायपुर या प्रदेश रास नहीं आता है। यहां की कमाई से विदेशों में लग्जीरियस लाइफ जीते हैं, लेकिन वहां की कमाई से यहां की शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ करना नहीं चाहते हैं। अब जब कोरोना वॉयरस उन देशों में फैल गया है, त
ब वहां से इन धनाढ्य वर्ग, नेताओं-अफसरों के बच्चों व रिश्तेदारों को छत्तीसगढ़ की याद आ रही है। जान बचाने के लिए वहां से भागकर प्रदेश लौट आए हैं। और अपने साथ खतरनाक कोरोना वॉयरस भी लेकर आए हैं। अब इससे रायपुर सहित प्रदेश भर में संक्रमण फैलने लगा है। इसके फैलाव को रोकने प्रदेशभर में लॉकडाउन और धारा 144-1 लगाया गया है, जिससे प्रदेश की गरीब जनता, किसान और आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बीमारी से मौत का डर तो सता ही रहा है, साथ ही रोजगार बंद होने से भूखमरी की समस्या पैदा हो गई है।
पासपोर्ट वालों की लापरवाही का परिणाम अब राशन कार्ड वाले भुगत रहे हैं।
पासपोर्ट वालों को केवल कोरोना की चिंता, दूसरों को रोजगार की
शहर के पासपोर्ट वालों को केवल कोरोना वॉयरस की चिंता है, जबकि राशन कार्ड वाले गरीब और आम लोगों को कोरोना वॉयरस के साथ ही रोजीरोटी और अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता है। अगर कोरोना वॉयरस से बच भी जाएंगे, तो आर्थिक स्थिति को संभालना मुश्किल होगा। फैक्ट्रियों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर, रिक्शाचालक, चाय वाला और सड़कों पर ठेले लगाकर जीवन-यापन करने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। निजी संस्थाओं में छोटे-मोटे काम करके गुजारा करने वालों को कुछ सूझ नहीं रहा। आखिर वह क्या करें। उनका परिवार कैसे चलेगा? कोरोना वॉयरस से संक्रमित होने से पहले आमआदमी मरने के कगार में पहुंच गया है।
अगर वहीं रूक जाते, तो क्या होता?
कोरोना वॉयरस फैलने के बाद विदेशों से छत्तीसगढ़ आने वाले अगर कुछ दिन और वहीं रूक जाते, तो क्या होता? क्या उनका उस देश में बेहतर इलाज नहीं हो सकता था? क्या उन्हें वहां की सरकार उपचार की सुविधा मुहैया नहीं कराती? क्या वहां की सरकार उन्हें वापस जाने के लिए दबाव डाल रही थी? क्या वे आर्थिक तंगी का सामाना कर रहे थे? अगर यह सब नहीं था, तो प्रदेश के हित और यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ दिन और विदेशों में रह सकते थे। स्थिति सामान्य होने के बाद लौट जाते। इससे लोगों की जान खतरे में तो नहीं पड़ती।
आए हैं, तो सावधानी में चूक क्यों
विदेशों से लौटे सभी लोगों को जिला प्रशासन ने होम आइसोलेशन में रखा है। यहां भी लापरवाही सामने आ रही है। होम आइसोलेशन के नियमों का पालन करने के बजाय घूम-फिर रहे हैं, जिससे दूसरों में भी कोरोना वॉयरस का संक्रमण होकर और व्यापक रूप से फैलने की आशंका है। परिवार वाले भी अपने रसूख पर मुग्ध हैं। उन्हें पता है कि प्रशासन कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर सकेगी। इसलिए होम आइसोलेशन, क्वारंटाइन के लिए जारी निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं।

अंत में एक सवाल-ऐसे लोगों का क्या करना चाहिए????

Monday 30 March 2020

लॉकडाउन में भी सड़कों पर बढ़ी आवाजाही, सीएम बघेल निकले जायजा लेने

रायपुर
कोरोना संक्रमण से बचने शहर को 14 अप्रैल तक लॉकडाउन किया गया है, लेकिन इसका असर लोगों पर नहीं हो रहा है। पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद देशभर में लॉकडाउन किया गया है, लेकिन रायपुर शहर में इसका पूरी तरह से पालन नहीं हो पा रहा है। लोग जरूरी काम का बहाना करके बाहर घूमने-फिरने निकल रहे हैं। लॉकडाउन के पहले दिन रायपुर पुलिस ने इसका सख्ती से पालन कराया। कहीं चेतावनी दी, तो कहीं लाठी भी चलाया। इससे राजधानी में पूरी तरह से लॉकडाउन हो गया। कोई बेवजह घूमते नजर नहीं आया। और न ही सड़कों पर आवाजाही बढ़ी। सूत्रों के मुताबिक इसके अगले दिन शहर के तमाम नेताओं और कारोबारियों ने पुलिस पर लोगों को छूट देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। दबाव के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने लोगों ने को सुबह 9 से शाम 5 बजे तक आने-जाने की छूट दे दी। इसका नतीजा यह हुआ कि शहर की सड़कों में लोगों की आवाजाही बढ़ गई। जरूरतमंद के अलावा अन्य लोग सामान्य दिनों की तरह चहल-कदम करने लगे। इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ गया है।
ड्रोन से केवल निगरानी, कार्रवाई नहीं
पुलिस ने शहर में बेवजह घूमने
-फिरने वालों के लिए कई ड्रोन कैमरे लगा रखे हैं। और पिछले तीन दिन से इससे निगरानी भी हो रही है, लेकिन कार्रवाई एक नहीं हुई है। रविवार को शहर में लोग कम निकले, लेकिन अगले दिन सोमवार को फिर सड़कों पर बड़ी संख्या में लोग आते-जाते नजर आए। पुलिस इनसे पूछताछ करती थी, तो अधिकांश लोगों का
जवाब यही था कि वे अस्पताल जा रहे हैं। सब्जी लेने जा रहे हैं।
सीएम निकले जायजा लेने
लॉकडाउन की स्थिति का जायजा लेने सोमवार को सीएम भूपेश बघेल स्वयं सड़कों पर निकल पड़े। उन्होंने सब्जी बाजारों और शहर के अन्य स्थानों का जायजा लिया। इस दौरान सब्जियों, अनाजों की कालाबाजारी के संबंध में जानकारी ली। इस दौरान उनके साथ जिला कलेक्टर-एसपी भी थे।

लॉकडाउन के चलते रायपुर में फंसे दूसरे राज्य के लोग, परमिशन के लिए लगा रहे चक्कर


कलेक्टर भेज रहे हैं थाने और थानेदार भेज रहे हैं कलेक्टर के पास
किसी की बेटी बीमार है, तो कोई खुद है पीडि़त
दूसरे राज्य के लोगों को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं
लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्य के कई लोग रायपुर में फंसे हैं। उन्हें अपने घर जाने के लिए परमिशन नहीं मिल  रहा है। जिला प्रशासन के अधिकारी उन्हें थानेदारों के पास भेजते हैं और थानेदार उन्हें वापस जिला प्रशासन के अधिकारियों के पास भेज रहे हैं। इससे कई लोग परेशान हो गए हैं। दरअसल करीब पांच दिन पहले दूसरे राज्य या शहर के लोगों को आवश्यक होने पर अपने घर या दूसरे शहर जाने के लिए थानों के माध्यम से सीएसपी परमिशन दे रहे थे। अब इस व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। पुलिस किसी को परमिशन नहीं देगी। जिला प्रशासन के अधिकारी ही इस निर्णय लेंगे। इस कारण थानों में आवेदन लेना बंद कर दिया गया। आवेदकों को कलेक्टर के पास भेजा गया। पीडि़त कलेक्टर के पास गए, तो कलेक्टर कार्यालय में इस तरह के आवेदन लेने से इनकार कर दिया गया। सभी को फिर अपने-अपने इलाके के थाने में जाने के लिए कहा गया। दूसरी ओर लोग थाने पहुंचे, तो वहां थानेदारों ने आवेदन लेने से इनकार कर दिया। ऐसे में पीडि़ताों की परेशानी बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि रायपुर में बिहार, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के शहरों से कामकाज, शिक्षा, नौकरी या अन्य कार्य के सिलसिले में कई लोग आए हैं। अचानक लॉकडाउन होने से उन लोगों को वापस अपने घर जाने का मौका  नहीं मिला। उनके पास अब रायपुर में गुजारा करने की व्यवस्था भी नहीं है। खासकर ठेले-खोमचे वाले, मजदूर, होटल-रेस्टोरेंट कर्मचारियों और अन्य कामकाज करने वालों को ज्यादा समस्या हो रही है।
कलेक्टोरेट से भेजा दिया थाने
रविवार को अवकाश होने के बावजूद 50 से ज्यादा लोग कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे। सभी दूसरे राज्य के हैं और अपने घर जाना चाहते हैं। सभी ने अनुमति देने की मांग की। अधिकारियों ने उन्हें थाने में आवेदन करने के लिए कहा। इसके बाद कई लोग थाने पहुंचे। वहां से उन्हें फिर कलेक्टर के पास जाने के लिए कहा गया। इस संबंध में जिला प्रशासन के अधिकारी भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर ऐसे लोगों को परमिशन देना है या नहीं।
30 से ज्यादा लोग परेशान
गुढिय़ारी निवासी जितेंद्र चौहान ने बताया कि वह ग्वालियर जाना चाहते हैं। वे गुपचुप का ठेला लगाते थे। दुकान बंद हो गई है। उसके 30 अन्य साथी भी बेरोजगा
र हो गए हैं। अब अपने घर जाना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से परमिशन नहीं मिल रहा है। इसी तरह कोटा निवासी विक्रम सिंह उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं। उन्हें भी अपने घर जाना है, लेकिन परमिशन नहीं मिलने से वह भी परेशान हैं। लोगों की परेशानी से कलेक्टर-एसएसपी को अवगत कराया गया। इस संबंध में उन्होंने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया।

Saturday 28 March 2020

भूखों को खाना खिलाना भी इस पुलिस जवान की ड्यूटी में है शामिल

रायपुर
 शहर में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिससे रोज कमाने-खाने वालों को दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। खासकर बेघर, रिक्शा चालक या भिक्षावृत्ति करने वालों को खाना मिलना मुश्किल हो गया है। ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं कोतवाली थाने के आ
रक्षक सुनील शर्मा। रात्रि पेट्रोलिंग ड्यूटी के दौरान वे अपने साथ खाने के कुछ पैकेट रखते हैं। पेट्रोलिंग के दौरान रास्ते में अगर कोई व्यक्ति भूखा या जरूरतमंद मिल जाता है, तो उसे खाना देते हैं। जब से शहर लॉकडाउन हुआ है, आरक्षक शर्मा तब से ऐसा कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शहर भर में दुकानें बंद हैं। लोगों की आवाजाही कम हो गई है। इससे कई रिक्शा वाले, बेघर और भिक्षावृत्ति करने वालों को खाना नहीं मिल पा रहा है।

छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीज बढ़े, सरकार ने लगाया एस्मा

रायपुर
छत्तीसगढ़ में कोरोना वॉयरस के संक्रमण के शिकार होने वालों की संख्या सात हो गई है। लंदन से लौटे एक और युवक कोरोना पॉजीटिव पाया गया है। इधर छत्तीसगढ़ सरकार ने एस्मा लागू कर दिया है। एस्मा सरकारी और निजी अस्पतालों में लागू होगा। उल्लेखनीय है कि शनिवार को रायपुर में एक और युवक कोरोना पॉजीटिव पाया गया है। इससे पहले दो युवती और एक व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे। राजधानी में अब कुल चार लोग कोरोना से पीडि़त हो गए हैं। राजधानी रायपुर और प्रदेश के अन्य स्थानों सहित कुल सात मामले सामने आ चुके हैं। सभी का एम्स में इलाज चल रहा है।