Wednesday 29 April 2020

कोरोना का रायता और दर्द अपना-अपना-6

हाथों की खुजली हो गई लॉक

रायपुर.  सरकारी बाबू और थाने का हवलदार दो ऐसे असरदार किरदार हैं, जिनका हर मौसम में जलवा रहता है। साहब कोई भी हो, लेकिन सिक्का इनका ही चलता है। इनके आगे बड़े-बड़े तुर्रम खां भी दंडवत हो जाते हैं। और ये दोनों केवल लक्ष्मीजी के आगे दंडवत होते हैं। साहब या थानेदार के कमरे में आने वाले हर शख्स को इनकी पैनी नजर पहचान लेती है कि कौन लक्ष्मीजी का वाहक है और कौन नहीं? उन्हें देखते ही इनकी हाथों में खुजली होने लगती है। दरअसल हमारी संस्कृति में कई लोग हाथों में खुजली होने को पैसा आने का संकेत मानते हैं। बाबू और हवलदार भी उन्हीं बिरादरी से हैं। सीट में आते ही उनके हाथों में खुजली शुरू हो जाती है। मजाल है कि इनकी खुजली मिटाए बिना अपना कोई काम करवा ले। छत्तीसगढ़ क्या पूरे भारत में संभव नहीं। लेकिन कोरोना संक्रमण रोकने लगे लॉकडाउन से इनकी हाथों की खुजली भी बंद हो गई है। खुजली बंद होते ही इनका दर्द बढ़ गया है। आखिर दर्द अपना-अपना है, लेकिन समझेगा कौन?
घर का हजम नहीं हो रहा
एक सरकारी बाबू काफी परेशान हैं। लॉकडाउन के बाद से उन्हें बदहजमी की समस्या शुरू हो गई। घर का जो भी खाते-पीते हैं, उन्हें हजम नहीं होता। सुबह का चाय-नाश्ता किसी तरह हजम कर लेते हैं, लेकिन दोपहर से रात तक का कुछ भी हजम नहीं हो रहा है। घरवाले उनकी परेशानी समझ नहीं रहे हैं, लेकिन बाबू अच्छी तरह जानता है कि ऐसा क्यों हो रहा है। दरअसल बाबू का डाइजेशन सिस्टम विभाग में काम के सिलसिले में आने वाले लोगों के हिसाब से ढल गया है। जिस स्तर के काम होते हैं, उसी स्तर का चाय-काफी, नाश्ता और खर्चापानी का इंतजाम हो जाता था। कभी-कभी तो दोपहर का भोजन और शाम के दो पैग का इंतजाम भी हो जाता था। इससे डाइजेशन सिस्टम काफी स्ट्रांग हो गया था। अब घर में केवल हल्की चीजें खाने-पीने को मिल रही है। सबकुछ घरेलू है, जिसे उनका डाइजेशन सिस्टम झेल नहीं पा रहा है।
आंखों से चमक गायब
थाने में जब भी कोई फरियादी आता है, तो उसे देखते ही कुछ हवलदारों की आंखों में खुशी की चमक आ जाता है। आरोपी और फरियादी कोई भी रहे हवलदार को उनकी लेखनशैली का असर एफआईआर से लेकर चालान बनाने तक रहता है। इसका इनाम भी उन तक चलकर आता है। पिछले कई दिनों से ऐसे हवलदारों के आंखों में खुशी वाली चमक नहीं दिखी। ऐसे हवलदार भी हैं, जिनकी नजर फरियादियों की तलाश में हमेशा थाने के मुख्यद्वार पर लगी रहती थी, लेकिन अब वही नजरें वाट्सएप और यूट्यूब से चिपकी रहती है।
साहब से ज्यादा फूर्ति
सरकारी विभाग में साहब से ज्यादा बाबू असरदार और फुर्तिला होता है। खुजली मिटा दो तो अपने साहब से भी ज्यादा फूर्ति से काम निपटा देता है। कई बार तो बाबू ही साहब का पूरा काम कर देते हैं। केवल चिडिय़ा साहब बैठाते हैं। हाथों में खुजली बंद है, तो फूर्ति भी नहीं रही। ऑफिस खुलेगी, तो हाथों की खुजली लौटेगी। और खुजली मिटेगी, तो फूर्ति लौटेगी। 

Thursday 23 April 2020

कोरोना का रायता और दर्द अपना-अपना-5


बस्तर की असल तस्वीर जमलो

जमलो मड़कम 
रायपुर   भारत अब डिजीटल इंडिया बन गया है। इस डिजीटल इंडिया में भूख-प्यास, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में 12 साल की बालिका की मौत होना 21वीं सदी की बड़ी त्रासदी है। यह घटना विकास के नाम पर लोगों से छलावा का बड़ा उदाहरण है। यह घटना भारत माता के उन कथित देशभक्तों की आंखें खोलने के लिए भी काफी है, जो बात-बात पर अपनी राष्ट्रभक्ति का ढिंढोरा पीटते रहते हैं। बस्तर की बेटी जमलो मड़काम ने भूख-प्यास और गरीबी के चलते दम तोड़ दिया। यह  बताता है कि  पिछले दो दशक में बस्तर की तस्वीर केवल सरकारी आंकड़ों में बदली है। असलियत कुछ और ही है। जमलो की मौत ने वह असलियत उजागर कर दी है। जिन परिस्थितियों ने जमलो को मौत दी है, वैसी परिस्थितियां बस्तर के अधिकांश हिस्सों में है। लेकिन इसमें बदलाव नहीं हो रहा है। इसके चलते नई पीढ़ी के जमलो को भी असमय मौत देखना पड़ा है।   इसका मतलब  साफ  है  कि बस्तर की दशा  आज भी  नहीं बदली है।  वहां जीना कठिन और मौत आसान है।  चाहे मौत माओवादियों  से  मिले   या  मौसमी  बीमारी  से   या  फिर गरीबी, भूखमरी  और बेरोजगारी   के  चलते  हो। 
बस्तर की असल तस्वीर जमलो
जमलो के पिता 
जमलो मड़काम की मौत ने बस्तर की असल तस्वीर पेश की है, जो पिछले कई सदियों से वैसी की वैसी है। उसमें कोई बदलाव नहीं आया है। वही भूख-प्यास और गरीबी, अशिक्षा व बुनियादी सुविधाओं का अभाव। 21वीं सदी में भूख-प्यास, बेरोजगारी, गरीबी और सुविधाओं की भारी कमी से किसी की मौत हो जाना, नेताओं के विकास के   दावों की पोल खोलता है। बस्तर के ग्रामीण इलाकों में आज भी बेरोजगारी, शिक्षा की कमी और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। बच्चे, बूढ़े और महिलाएं इसकी भेंट चढ़ रहे हैं। सरकारों का  अंधापन इसे क्यों देख नहीं  पा रहा है या जानबूझकर  अनदेखा किया जा रहा है।    इन इलाकों  के  लिए  अलग अलग  प्राधिकरण बना कर  हर साल करोड़ों रूपए का बजट जारी  किया  जाता   है।   इस  राशि का शतप्रतिशत   उपयोग  अगर बस्तरवासियो  के  लिए होता   ,  तो  जमलो जैसीं   नई  पीढ़ी  को अपनी जान नहीं गवानी  पड़ती  । 
कौन है जमलो
बीजापुर के ग्राम आदेड़ निवासी 12 साल की जमलो मड़कम। गरीबी के चलते कच्ची उम्र में ही जमलो को काम करना पड़ता था। फरवरी में जमलो अपने रिश्तेदारों के साथ तेलांगना के पेरूर गांव में मिर्ची तोडऩे चली गई। उसे करीब 100 रुपए रोजी दिया जाता था। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की घोषणा हो गई। पेरूर में काम बंद हो गया। सभी मजदूरों के साथ जमलो भी वहीं रह गई। कुछ दिन तक तो खाने-पीने के लिए मिलता रहा। इसके बाद भूखों मरने की नौबत आ गई। सभी मजदूरों ने बीजापुर लौटने का निर्णय लिया। लेकिन लॉकडाउन के चलते ठेकेदार ने मजदूरों को गांव तक पहुंचाने से इनकार कर दिया। सभी पैदल ही गांव लौटने लगे। पेरूर से बीजापुर 200 किमी से अधिक दूर है। इतने दूर पैदल जाना बालिका जमलो के लिए संभव नहीं था, लेकिन मजबूरी में उसे भी आना पड़ा। सभी जंगल के रास्ते लौट रहे थे। लगातार तीन दिन तक पैदल चलने के बाद 20 अप्रैल को जमलो की तबीयत खराब हो गई। उसके शरीर में पानी की भारी कमी हो गई। खाना भी ढंग से नहीं मिला। इसके चलते अपने घर से महज 14 किमी की दूरी पर जमलो ने दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि बच्ची की मौत पानी और भोजन की कमी के चलते हो गई। https://raipurkegothbaat.blogspot.com/2020/04/corona-covid-19.html
गरीबी की भेंट चढ़ा बचपन
जमलो के आने का इंतजार कर रहे पिता आंदोराम मड़कम और मां सुकमति को जैसे ही यह खबर मिली, उनका रो-रोकर बुराहाल था। उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। गरीबी के चलते ही जमलो को तेलांगना जाना पड़ा। जमलो का बचपन गरीबी की भेंट चढ़ चुका था। जमलो की तरह कई बच्चे कामधंधों में लगे हैं। दरअसल बीजापुर सहित आसपास के इलाकों में ठेकेदार सक्रिय रहते हैं। मजदूरों को अपने साथ तेलांगाना, आंध्रप्रदेश आदि स्थानों में काम कराने ले जाते हैं। और उन्हें वापस भी छोडऩे का इंतजाम करते हैं।
मनरेगा का लाभ नहीं
ग्रामीणों के मुताबिक बीजापुर सहित बस्तर के अधिकांश स्थानों पर मनरेगा के काम ठप पड़े हैं। कुछ स्थानों पर काम चलता भी है, तो मजदूरी समय पर नहीं मिलती। खेती-किसानी बहुत सीमित है। लिहाजा ग्रामीणों को तेलांगना, आंध्रप्रदेश जैसे दूसरे राज्यों में काम करने जाना पड़ता है। जिला प्रशासन भी मनरेगा के काम को लेकर गंभीर नहीं है। खेती-किसानी को प्रोत्साहन देने वाली योजनाएं भी दम तोड़ रही है। गरीबी और बेरोजगारी के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। यही वजह है कि जमलो जैसे कई बच्चों को रोजीरोटी के लिए कोसों दूर पैदल चलना पड़ रहा है। आखिर रोजीरोटी के लिए इतना लंबा सफर कब खत्म होगा? जंगल के कई हिस्सों में माओवादी सक्रिय हैं, जिससे वनोपज संग्रहण करना मुश्किल होता है। उन्नत खेती-किसानी केवल एक सपना है। जमलो जैसे कई बच्चों और उनके परिजनों का असली दर्द बेरोजगारी,  गरीबी  और   आभवग्रस्त  जिंदगी है। 

Monday 20 April 2020

कोरोना कोविड 19 का असर पम्पों में अब बिना मास्क के नहीं मिलेगा पेट्रोल

कोरोना कोविद 19 पेट्रोल पम्पो में अब बिना मास्क के नहीं मिलेगा पेट्रोल 
कोविड
रायपुर. देश में कोरोना वॉयरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पेट्रोल-डीजल से जुड़े कारोबारियों ने भी सख्ती शुरू कर दी है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए मास्क लगाना आवश्यक है। इसके बावजूद कई लोग लापरवाही कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों को पेट्रोल पंप से पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। चेहरे पर मास्क लगाकर आने पर ही पेट्रोल दिया जाएगा। यह नियम पूरे देश भर में लागू किया गया है। इसका निर्णय पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने लिया है। देशभर के सभी पेट्रोल पंपों में मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। उल्लेखनीय है कि  20 अप्रैल से लॉकडाउन के दौरान कई क्षेत्रों में सरकार ने थोड़ी ढील दी है। इससे सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है। और पेट्रोल पंपों में आमदिनों की अपेक्षा ग्राहकों की भीड़ भी बढ़ रही है। लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाओं में पेट्रोल पंप को भी शामिल किया गया है। इस कारण इसे बंद नहीं किया जा सकता। लिहाजा लोगों की भीड़ पेट्रोल पंपों में और बढ़ेगी।https://raipurkegothbaat.blogspot.com/2020/04/corona-covid-19.html
Corona covid 19: यह रहता है खतरा
पेट्रोल पंपों में वाहनों में पेट्रोल डलवाने आने वाले अधिकांश लोग मास्क नहीं लगाते हैं, जिससे कोराना संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। साथ ही भीड़ अधिक होने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं करते हैं। इससे भी खतरा रहता है। इस कारण देश में कोविड-19 के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने पेट्रोल पंपों में मास्क अनिवार्य कर दिया है।
देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते केस को देखते हुए पेट्रोल पंप पर काम करने वाले स्टाफ और आम लोगों की सुरक्षा को देखते हुए नो मास्क, नो फ्यूल की स्ट्रैटेजी अपनाई जा रही है। ऐसे में अब अगर कोई व्यक्ति पेट्रोल या डीजल भरवाने जा रहा है तो उनके लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। अगर कोई मास्क नहीं पहनता है तो उन्हें ईंधन नहीं दिया जाएगा। https://raipurkegothbaat.blogspot.com/2020/04/3.htmll
Corona covid 19: पेट्रोल पंप को भी लॉकडाउन से राहत
पेट्रोल पंप का खुला रहना भी इस लिस्ट में शामिल है। पेट्रोल पंप अभी भी खुले हुए हैं। आज लॉकडाउन के 26वें दिन भी पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के भाव स्थिर हैं। उम्मीद की जा रही है कि 20 अप्रैल के बाद आंशिक राहत से मांग में सुधार होगा। जानकारी के लिए बता दें कि पेट्रोल-डीजल का भाव रोजाना बदलता है और सुबह 6 बजे से नई कीमत लागू होती है।
Corona covid 19: नगद भुगतान से बचे
पेट्रोल-डीजल लेने वाले वाहन चालकों को नकद भुगतान न करने की भी अपील की गई है। लोगों से कहा जा रहा है कि पेट्रोल-डीजल लेने के बाद डिजिटल भुगतान करें। पंप कर्मचारियों को भी डिजिटल भुगतान करने के बाद हाथों को सैनिटाइज करने को कहा गया है।

Friday 17 April 2020

CORONA COVID-19 क्या है और कैसे फैलता है



कोरोना वायरस साँस सम्बंधित बीमारी फैलाने वाला एक बड़ा वायरस परिवार है जो साधारण सर्दी-जुकाम से लेकर मर्स और सार्स जैसे कई गंभीर रोगों की वजह है। इस वायरस के परिवार में चार वायरस हैं. वर्तमान वायरस CORONA COVID-19 है, जिसने दुनिया भर में महामारी का रूप ले लिया है. और हजारो लोगों की मौत हो गई. और लाखो संक्रमित हो गए है. चीन से शुरू हुआ संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया है. 

CORONA COVID-19 क्या है 
कोरोनावायरस (Coronavirus) कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आर होते हैं। इनके कारण मानवों में स्वांसतंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है। गाय और सूअर में इनके कारण अतिसार हो सकता है जबकि इनके कारण मुर्गियों के ऊपरी श्वास तंत्र के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टिका या विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा सिस्टम पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों  जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, बुखार, आदि का उपचार किया जाता है, ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। चीन के वुहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोना वाइरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण दिसंबर 2019-20 से शुरू हुआ और पुरे विश्व में फैल गया.  WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा है.

CORONA COVID-19 संक्रमण के चरण 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के अलग-अलग चरण बताए हैं और समझाया है कि किस तरह चरण दर चरण इस बीमारी का फैलना दुनिया के लिए घातक हो सकता है। जानिए इन्हीं चार चरणों के बारे में -
चरण 1 : विदेशों से आए मामले
इस चरण में मरीज किसी और देश में संक्रमित होता है। भारत में भी इस बीमारी की शुरुआत ऐसे ही हुई। कोरोना वायरस का पहला पॉजिटिव केस केरल का वो छात्र था, जो चीन की वुहान यूनिवर्सिटी में पढ़ता था। अब भी जो केस सामने आ रहे हैं, वो इटली, चीन या ईरान से लौटे हैं और इन्हीं के कारण बाकी लोगों में संक्रमण फैल रहा है।
चरण 2 : स्थानीय लोगों में संक्रमण फैलना
भारत अभी कोरोना वायरस के चरण 2 पर है। यहां बाहर से आए मरीज संक्रमण फैला रहे हैं। इसी स्थिति को रोकने की कवायद केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कर रही हैं। जो लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, उनकी ट्रेवल हिस्ट्री यानी उन्होंने कहा-कहां यात्रा की और किन-किन लोगों के सम्पर्क में आए, यह पता लगाया जा रहा है।
चरण 3 : कम्युनिटी के बीच संक्रमण फैलना
यह चरण इसलिए घातक होता है, क्योंकि इसमें भीड़ के बीच बीमारी फैल जाती है। चीन और इटली में यही हुआ और अब इन देशों में यह बीमारी काबू से बाहर है। भारत सरकार भी जानती है कि यदि हम चरण 3 में प्रवेश कर गए तो हालात बहुत बिगड़ जाएंगे। इस चरण में यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि भीड़ में मौजूद किस शख्स में संक्रमण हुआ है।
चरण 4 - महामारी
इस चरण में संक्रमण महामारी का रूप ले लेता है। चीन में ऐसा हो चुका है। इटली, ईरान, अमेरिकी इस स्तर पर पहुंच चुके हैं। यही कारण है कि इमरजेंसी घोषित कर हालात काबू में करने की कोशिश की जा रही है।

CORONA COVID-19 जैसी अन्य महामारियाँ 

सिवियर एक्यूट रेस्परेटरी सिंड्रोम (सार्स-सीओवी)
इसकी पहचान साल 2003 में हुई। साल 2002 में चीन में पहला इंसान संक्रमित हुआ। 2002-2003 में चीन/हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हुई। माना जाता है यह बिल्लियों जैसे बिलाव के जरिए इंसानों में आया था।
मिडिल ईस्ट रिस्परेटरी सिंड्रोम (मर्स-सीओवी)
इस संक्रमण का पहला मामला साल 2012 में सऊदी अरब में देखा गया। मिडिल ईस्ट में इस वायरस के संक्रमण से 800 से अधिक लोगों की जान गई। यह संक्रमण ऊंट के जरिए इंसानों में फैला।
नया कोरोना स्ट्रेन (चीन में सार्स जैसा वायरस)
पहला मामला चीन के वुहान में दिसंबर 2019 के अंत में दिखा। अगले कुछ महीनों में इटली, अमेरिका, स्पेन, इंग्लैंड, भारत जैसे कई अन्य देशों में भी संक्रमण की खबरें मिलीं। अब तक एक लाख से अधिक लोगों की इससे मौत हो चुकी है। वुहान का सी-फूड बाजार इस महामारी की शुरुआत का केंद्र था। वायरस मानव से मानव में संक्रमित होता  है. इसकी पुस्टि होने तक पूरी दुनिया में फैल गया.
CORONA COVID-19 को लेकर  WHO के दिशा निर्देश
मास्क का इस्तेमाल कब करें
-एक स्वस्थ व्यक्ति तभी मास्क पहने जब वह किसी संदिग्ध 2019-नोवल कोरोना वायरस वाले व्यक्ति की देखरेख कर रहा हो
खांसी और छींक आने की स्थिति में आपको मास्क लगाना चाहिए
-मास्क लगाना तभी कारगर साबित होगा जब आप उसके साथ एल्कोहल युक्त हैंड सेनिटाइजर या साबुन से अच्छी तरह अपने हाथों को साफ कर रहे हों
-अगर आप मास्क पहन रहे हों तो आपको उसके इस्तेमाल और उसका सही तरीके से निपटान करने की पूरी जानकारी होना जरूरी है
CORONA COVID-19 में खानपान में सावधानी
कच्चे मीट और पकाए जाने वाले भोजन के लिए अलग-अलग चाकू और चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें
खाना बनाने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए
CORONA COVID-19 दूसरों को बीमार होने से बचाएं
खांसने और छींकने की स्थिति में अपने मुंह को टिशू पेपर या अपनी मुड़ी हुई कोहनी से ढकें।
टिश्यू इस्तेमाल करने के तुरंत बाद उसे डस्टबिन में डालें
बीमार होने से बचने के लिए खांसने और छींकने के तुरंत बाद और किसी व्यक्ति की बीमार व्यक्ति की देखभाल करते समय अपने हाथों को एल्कोहल युक्त हैंड सेनिटाइजर या साबुन और पानी से अच्छी साफ करें।
CORONA COVID-19 में आइसोलेशन कैसे करें
दोस्तों से बात करे - संकट के दौरान आप सामान्य तौर पर दुखी, चिंतित, भ्रमित, डरे हुए या क्रोधित हो सकते हैं
भरोसेमंद और मदद करने योग्य व्यक्तियों से बात करें। अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से संपर्क करें।
जीवन शैली बदलें - अगर आपका घर पर रहना जरूरी है तो स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। अच्छा खानपान, नींद और व्यायाम करने पर जोर देना चाहिए। जान पहचान वालों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ई-मेल या फोन के माध्यम से संपर्क बनाए रखें। मानसिक रूप से भावुक होने की स्थिति में किसी भी प्रकार के ड्रग्स, एल्कोहल या धूम्रपान का इस्तेमाल करने से बचें।
काउंसलर की मदद लें -अगर आप ज्यादा चिंतित महसूस कर रहे हैं तो आप किसी स्वास्थ्यकर्मी या काउंसलर से परामर्श ले सकते हैं। इसके साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद कहां से लेनी है, या उस दौरान क्या करना है आदि जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। खतरे को कम करने के लिए इससे संबंधित सभी प्रकार की सही और सटीक जानकारी हासिल करें। आप चाहें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट, जिला या राज्य स्वास्थ्य एजेंसी से इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कोरोना पर मीडिया टीवी चैनल पर दिखाए जा रहे कार्यक्रम जिनको देखने या सुनने पर चिंता और बैचेनी होने लगे उन्हें देखने से बचें। अपने पिछले अनुभव जिसमें आपने विपरीत परिस्थितियों का सामाना किया था उसी धैर्य से इस महामारी का सामना करें।
CORONA COVID-19 और भारत 
कोरोना वायरस लगातार फैल रहा है। भारत में इसे काबू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। लोगों को जागरुक बनाया जा रहा है और संक्रमण को फैलने से रोकने के तमाम उपाय किए जा रहे हैं। यह ऐसी संक्रामक बीमारी है जो छींकने, खांसने या बोलने के दौरान फैलती है। कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी कोई इलाज नहीं है। यही कारण है कि बीमारी को फैलने से रोकने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। भारत  के 32 राज्य संक्रमण से प्रभवित है और 1३ हजार से अधिक CORONA COVID-19 से संक्रमित है और 400 से ज्यादा लोगो की मौत हो चुकी है। 
CORONA COVID-19 की जाँच 
भारत सरकार की ओर से विदेशों से आने वाले लोगों को एयरपोर्ट पर ही स्क्रीनिंग यानी जांच की जा रही है। जिन लोगों में भी संक्रमण के संकेत नजर आ रहे हैं, उन्हें 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा जा रहा है। सरकार के प्रोटोकॉल के अनुसार, जो लोग कोरोना वायरस प्रभावित देशों जैसे चीन, इटली, अमेरिका, ईरान, रूस व अन्य यूरोपीय देशों से भारत लौट रहे हैं, वे अपनी जांच जरूर करवाएं। साथ ही यदि कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाते हैं तो जिन-जिन के सम्पर्क में आए हैं, उनकी भी जांच करवाई जानी चाहिए।
CORONA COVID-19 में 20 के बाद मिलेगी छूट    
गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए लॉकडाउन निर्देशों के एक नए सेट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले सभी उद्योगों को शहर की सीमा के बाहर, 20 अप्रैल से फिर से खोलने की अनुमति दी जाएगी, क्योंकि वे CORONA COVID-19 संक्रमण के खिलाफ सामाजिक सुरक्षा मानदंडों और अन्य सुरक्षा उपायों का पालन करते हैं। इसके अलावा, "सार्वजनिक स्थानों और कार्य स्थानों पर फेस कवर और मास्क पहनना अनिवार्य है।" थूकना एक दंडनीय अपराध है और शराब, गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध होना चाहिए। संशोधित दिशानिर्देश कई क्षेत्रों में छूट प्रदान करते हैं, जिन्हें राज्य और जिला अधिकारियों के विवेक पर लागू किया जाना है, उन क्षेत्रों में जिन्हें संक्रमण हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना नहीं गया है। ग्रामीण उद्योगों के अलावा, दिशानिर्देश ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, सिंचाई परियोजनाओं, भवनों और औद्योगिक परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति देते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण की भी अनुमति होगी। शहरी क्षेत्रों में, केवल सीटू निर्माण परियोजनाओं की अनुमति होगी, यदि श्रमिक साइट पर उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट भट्टे भी काम फिर से शुरू कर सकते हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) कार्य को सामाजिक भेद और चेहरे के मुखौटे के सख्त कार्यान्वयन के साथ सिंचाई और जल संरक्षण कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, आईटी मरम्मत, मोटर यांत्रिकी और बढ़ई द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को भी अनुमति दी जाएगी।
विशेष आर्थिक क्षेत्रों में निर्यात और अन्य औद्योगिक गतिविधियां, निर्यात उन्मुख इकाइयां और अन्य औद्योगिक संपदाएं और टाउनशिप फिर से खुल सकती हैं, जब तक कि श्रमिकों को परिसर के भीतर या आस-पास के भवनों में रहने की व्यवस्था की जाती है। आईटी हार्डवेयर विनिर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण और जूट उद्योगों को लॉकडाउन के लिए अन्य नई छूटों में से एक हैं। आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं को भी 50% शक्ति के साथ कार्य करने की अनुमति होगी। दिशानिर्देशों का कहना है कि तालाबंदी अवधि के दौरान संचालित करने वाले कारखानों और कार्यालय प्रतिष्ठानों को अनिवार्य रूप से श्रमिकों के लिए चिकित्सा बीमा प्रदान करना चाहिए। एमएचए द्वारा जारी संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि हवाई, रेल, मेट्रो, सार्वजनिक बसों, टैक्सियों, कैब एग्रीगेटरों द्वारा यात्रा निलंबित रहेगी। सिनेमा हॉल और मॉल बंद रहें। सभी सामाजिक / धार्मिक समारोहों को 3 मई तक प्रतिबंधित कर दिया गया है और सभी औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों को, जब तक कि छूट नहीं दी जाती, बंद रहेगी।
राज्य 20 अप्रैल से अनुमति दी जाने वाली अतिरिक्त सार्वजनिक गतिविधियों का फैसला करेंगे। अतिरिक्त सुविधाओं को लॉकडाउन के उपायों पर मौजूदा दिशानिर्देशों के सख्त अनुपालन पर आधारित होना होगा। CORONA COVID-19 महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया था, और विस्तारित लॉकडाउन के दौरान लोगों द्वारा सामना की जाने वाली "मुश्किलों को कम करने" के लिए, 20 अप्रैल से कुछ अतिरिक्त गतिविधियों की अनुमति दी जानी है। देश में "CORONA COVID-19 महामारी की रोकथाम" के लिए राज्यों द्वारा पीछा किए जाने वाले ऐसे दिशानिर्देशों का पहला सेट 24 मार्च को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत देश में पहली बार लागू किया गया था।

Wednesday 15 April 2020

रायपुर में 72 घन्टे का अघोषित कर्फ्यू

16 अप्रैल गुरुवार की शाम 5 बजे से 19 अप्रैल रविवार की शाम 5 बजे तक 

रायपुर जिले में अति आवश्यक प्रतिष्ठानों को छोड़ कर शेष गतिविधियों के संचालन पर रोक 

 कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी रायपुर डॉ एस भारती दासन ने 16  अप्रैल 2020 गुरुवार की शाम 5 बजे से 19 अप्रैल 2020 रविवार की शाम 5 बजे तक के लिए रायपुर जिले में अति आवश्यक प्रतिष्ठानों को छोड़ कर शेष गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। 

इस अवधि में मेडिकल दुकाने, मिल्क पार्लर,पेट्रोल पंप , एल पी जी गैस सिलिंडर की दुकाने  और आन लाइन होम डिलीवरी सेवाएं खुले रहेंगी। इस अवधि में अर्थात 72 घंटे अनावश्यक रूप से घूमने और आने -जाने पर भी प्रतिबन्ध रहेगा और सब्जी बाजार, अन्य मार्केट, दुकानें बंद रहेंगी । कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ने जिले के सभी नागरिकों से अपील की है कि  वे कोरोना की रोकथाम  एवं बचाव करने में  हर संभव सहयोग करे और इस अवधि में अपने घरों में रहे।

Tuesday 14 April 2020

देश में लॉक डाऊन का दूसरा चरण कल से 3 तक

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये देश में लॉक डाऊन को बढ़ा दिया गया है। मंगलवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रास्ट्र को सम्बोधित करते हुये इसकी घोषणा की। लॉक डाऊन का दूसरा चरण कल से यानी 15 अप्रेल से 3 मई तक कर दिया गया है।
इस दौरान उन्होनें देशवासियो से अपील की है कि इसका पालन करे।
यह भी कहा पीएम मोदी ने-
हम धैर्य बनाकर रखेंगे,
नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना जैसी महामारी को भी परास्त कर पाएंगे।
इसी विश्वास के साथ अंत में,
मैं आज 7 बातों में आपका साथ मांग रहा हूं।
पहली बात-
अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें
- विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुरानी बीमारी हो,
उनकी हमें Extra Care करनी है, उन्हें कोरोना से बहुत बचाकर रखना है: 
दूसरी बात-
लॉकडाउन और Social Distancing की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें,
घर में बने फेसकवर या मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें: 
तीसरी बात-
अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें,
गर्म पानी,
काढ़ा,
इनका निरंतर सेवन करें: 
चौथी बात-
कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने में मदद करने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल App जरूर डाउनलोड करें।
दूसरों को भी इस App को डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करें: 
पांचवी बात-
जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें,
उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें: 
छठी बात-
आप अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम करे लोगों के प्रति संवेदना रखें,
किसी को नौकरी से न निकालें: 
सातवीं बात-
देश के कोरोना योद्धाओं,
हमारे डॉक्टर- नर्सेस,
सफाई कर्मी-पुलिसकर्मी का पूरा सम्मान करें:
पूरी निष्ठा के साथ 3 मई तक लॉकडाउन के नियमों का पालन करें,
जहां हैं,
वहां रहें,
सुरक्षित रहें।
वयं राष्ट्रे जागृयाम”

Sunday 12 April 2020

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के 7 और मामले सामने आये

कोरबा के कटघोरा में 7 और कोरोना पॉजिटिव के मामले सामने आए हैं। इसे मिलाकर अब छत्तीसगढ़ में 25 मामले हो गये। इनमें से 10 लोग सही हो कर घर जा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही कटघोरा में 8 लोग कोरोना से पीड़ित पाये गए थे।
छत्तीसगढ़ में तब्लिगी जामत के चलते बिगड़
प्रदेश में कोरोना संक्रमण पर स्तिथि ठीक थी, लेकिन कटघोरा में तबलिगी जामत से जुड़े एक व्यक्ति में संक्रमण होने के बाद अन्य लोगों में भी संक्रमण फैल गया
छत्तीसगढ़ के सभी मरीज कोरबा के 
वर्तमान में प्रदेश के सभी मरीज कोरबा के कटघोरा के ही रहने वाले हैं। कुल मरीज 15 हो गए हैं। सभी को एम्स में भर्ती कराया गया है।
नये कोरोना अस्पताल का निरिक्षण करते स्वास्थ मन्त्री 

Saturday 11 April 2020

कोरोना संक्रमण रोकने छत्तीसगढ़ में बिना मास्क के बाहर निकलने वालों पर होगा अपराध दर्ज

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण रोकने प्रभावी कदम उठाया जा रहा है। अब बिना मास्क लगाये घर से बाहर निकलने पर पुलिस अपराध दर्ज करेगी, इस संबंध में स्वास्थ विभाग ने आदेश जारी कर दिया है
मास्क नही होने पर स्कार्फ, रुमाल या कपड़ा भी लगा सकते हैं, लेकिन मुंह और नाक ढंके होना चाहिए।

Friday 10 April 2020

छत्तीसगढ में कोरोना का एक और मरीज हुआ ठीक


छत्तीसगढ़  में एक और कोरोना पॉजिटिव मरीज हुआ स्वास्थ्य।
एम्स में भर्ती 16 वर्ष के नाबालिग की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ट्वीट कर दी जानकारी। प्रदेश में अब तक कुल 18 में से 10  कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो चुके हैं, कटघोरा के कोरोना संक्रमित 8 मरीज़ो का इलाज जारी।

कोरोना से जंग में नन्हें हाथों से हो रही बड़ी मदद

लोगों की सहायता के लिए छोटे बच्चे अपने गुल्लक दान दे रहे
गरीबों की मदद करने आगे आ रहे  बच्चे

रायपुर.
कोरोना वॉयरस संक्रमण के चलते देश और प्रदेश की हालात बिगड़ती जा रही है। संक्रमण को बढऩे से रोकने केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन कर दिया है। इससे सभी काम धंधे बंद हो गए हैं। लोगों का रोजगार छिन गया है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को खाने-पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति की समस्या होने लगी है। कोरोना से पूरी आबादी जंग लड़ रही है। इस जंग में नन्हें हाथों से भी बड़ी मदद की जा रही है। यह मदद देखने में बहुत छोटी है, लेकिन मदद करने वालों की भावनाएं बहुत बड़ी है। रायपुर में कोरोना संक्रमण से लडऩे कोई आर्थिक मदद कर रहा है, तो कोई और कुछ मदद कर रहा है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं, जो अपने अनमोल बचत को भी दान कर रहे हैं, ताकि कोई भूखा न सोए। मदद में नन्हें-मुन्ने बच्चे अपने गुल्लक दान में दे रहे हैं। और अपेक्षा कर रहे हैं कि उनकी यह छोटी सी मदद किसी न किसी रूप में जरूरतमंदों के काम आ जाए। बच्चों के मन में मदद की भावना को देखकर हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा है। और उनका उत्साहवर्धन कर रहा है।
खम्हारडीह टीआई ममता अली शर्मा को गुल्लक सौपती बालिका 
चॉकलेट के पैसे बचाकर किया था जमा, अब सही काम आएगा 
पुरानीबस्ती टीआई राजेश सिंह को अपना गुल्लक देते भाई बहन 
खम्हारडीह थाना प्रभारी ममता अली शर्मा रोज की तरह लॉकडाउन में बेवजह घूमने वालों की चेकिंग में लगी थी। बीटीआई ग्राउंड के पास चेकिंग पाइंट में वाहनों की जांच कर रही थी। इसी दौरान 11 साल की योगिता पाणिग्रही उनके पास पहुंची। और टीआई शर्मा को अपने नन्हें हाथों से एक गुल्लक सौंपा। और कहा कि मेम यह मेरी छोटी सी बचत जरूरतमंद लोगों के लिए है। इस राशि का उपयोग उन जरूरतमंदों और भूखों को खाना खिलाने या उन्हें अनाज देने में किया जाए। टीआई शर्मा ने योगिता से गुल्लक लिया और उनके इस कदम की सराहना किया।
भाई-बहन ने दिया सीएम रिलिफ फंड में गुल्लक
पुरानी बस्ती के कुशालपुर में रहने वाली वीरा यादव और उसका भाई ऐश्वर्य ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए अपना गुल्लक दान में दे दिया। दोनों करीब 8 और 10 साल के हैं। दोनों ने पुरानीबस्ती थाना के टीआई राजेश सिंह को अपना गुल्लक सौंपा। गुल्लक में करीब 1770 रुपए थे। इस रकम को दोनों बच्चों ने अपने-अपने पॉकेट मनी से बचाकर जमाा किया था। अब यह रकम जरूरतमंदों के काम आएगी। और उनकी थोड़ी मदद हो सकेगी।
लॉकडाउन से बिगड़े हालात
रायपुर में लॉकडाउन से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। बेरोजगारी और आर्थिक तंगी बढ़ती जा रही है। शासन राहत अभियान भी चला रहा है। बीपीएल और एपीएल कार्ड वालों को रियायती दरों में अनाज दिया जा रहा है, लेकिन रोजमर्रा की दूसरी चीजों के लिए भारी मारामारी शुरू हो गई है। लोगों को दैनिक जरूरत की चीजें भी आसानी से नहीं मिल रही है। और जो मिल रही है, उसके रेट अधिक हैं। प्रशासन कालाबाजारी नहीं होने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यही है।
सब्जी-भाजी के रेट काफी अधिक बढ़ गए हैं। दूसरी ओर फलों के भाव में भी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अन्य छोटी-बड़ी चीजों की किल्लत बनी हुई है। रोज कमाने-खाने वालों के लिए समस्या बढ़ गई है।
पीएम-सीएम राहत कोष
कोरोना संक्रमण से हुए लॉकडाउन के बाद भारी आर्थिक नुकसान देश और प्रदेश में हो रहा है। बेरोजगार और गरीबों को मदद पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष बनाया गया है। इसमें कोई भी अपनी जरूरत के हिसाब से दान कर सकता है। इस राशि का उपयोग लॉकडाउन से प्रभावितों के लिए किया जाएगा। आर्थिक सहायता के अलावा कई स्वयं सेवी संगठन भी सक्रिय हो गए हैं और लोगों को खाना बनाकर खिला रहे हैं।

Wednesday 8 April 2020

देश में कोरोना से मरने वालो की संख्या 149 हुई, संक्रमण भी बढ़ा

 बुधवार को ही 35 लोगों की मौत 
रायपुर. देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। मृतकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। मंगलवार तक 114 लोगों की मौत हुई थी, जो बुधवार को बढ़कर 149 तक हो गई। एक ही दिन में 35 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हो गई। कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। संक्रमित लोगों की संख्या अब 5 हजार 194 हो गई है। दूसरी ओर बुधवार को भी छत्तीसगढ़ में कोई कोरोना संक्रमित कोई नया मरीज नहीं मिला है। रायपुर के एम्स में केवल एक मरीज भर्ती है। 

जीरो कट वाले बाल कटवाकर थानेदार दे रहे हैं कोरोना से बचने के संदेश



मोदहापारा टीआई यदुमणि सिदार 
टिकरापारा टीआई याकूब मेमन 
रायपुर. लॉकडाउन के बीच शहर में जमीनी स्तर पर काम करने वाले पुलिस वालों को दूसरे के साथ स्वयं को भी कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने की चिंता है। ड्यूटी के साथ लोगों को जागरूक करने भी पीछे नहीं हट रहे हैं। जागरूकता और स्वयं की सुरक्षा के लिए कुछ थानेदारों ने अपने सिर के बाल मुंडवा लिए हैं। जहां भी तैनात रहते हैं, लोगों को संदेश  देने से नहीं चूकते हैं कि दाढ़ी और बाल बड़े रखना भी कोरोना संक्रमण को बढ़ावा देता है। राजधानी के मौदहापारा थाने के टीआई यदुमणि सिदार, टिकरापारा थाने के टीआई याकूब मेमन और गोलबाजार टीआई बेर्नाड कुजूर ने अपने-अपने सिर के बाल जीरो कट करवा लिए हैं। इसके अलावा अपने परिवार और घर में काफी बदलाव किए हैं।
गोलबाजार टीआई बेर्नाड कुजूर
बाल कटवाकर घूम रहे
मौदहापारा टीआई सिदार, टिकरापारा टीआई मेमन और गोलबाजार टीआई कुजूर करीब सप्ताह भर पहले अपने सिर के बाल सामान्य रखते थे। बाद में जीरो कट करवा लिए, ताकि बाल ज्यादा से ज्यादा छोटा रहे। इस संबंध में टीआई सिदार का कहना है कि बाल छोटे रखने से वॉयरस का बाल में रहने की गुंजाइश काफी कम हो जाती है। टीआई मेमन का कहना है कि कोरोना वॉयरस कपड़ों के अलावा शरीर के बालों में भी रह जाता है। बड़े बाल में कोरोना वॉयरस कई दिन तक जीवित रह सकता है। गोलबाजार टीआई कुजूर का कहना है कि बालों में अधिक समय तक वॉयरस पड़ा रहता है, जो बाद में दूसरी चीजों में भी आ जाता है।
बरामदे में ही टांग रहे हैं वर्दी
पुलिस वालों के लिए वर्दी उनका मान-सम्मान होती है, लेकिन कोरोना संक्रमण ने इससे भी दूरी बना दी है। मौदहापारा टीआई सिदार ड्यूटी से घर जाने पर अपनी वर्दी बरामदे में ही रखते हैं। भीतर नहीं ले जाते हैं। वर्दी बाहर ही धुलती है। इसके बाद भीतर ले जाते हैं। इसके अलावा जूते-मौजे भी बाहर ही रख रहे हैं। और नहाने के बाद ही घर में प्रवेश करते हैं। सेनीटाइज होने के बाद ही घर में प्रवेशटिकरापारा टीआई याकूब मेमन और गोलबाजार टीआई बेर्नाड कुजूर भी ड्यूटी खत्म होने के बाद घर जाते हैं, तो पहले खुद को सेनेटाइज करते हैं। वर्दी और अन्य चीजों को बाहर ही रखते हैं। नहाने के बाद ही घर में प्रवेश कर रहे हैं। साथ ही बार-बार घर जाना कम कर दिए हैं। अब एक ही समय घर जा रहे हैं। इसी तरह आमानाका टीआई भरत लाल बरेठ भी सप्ताह में एक बार अपने घर जाते हैं। थाने में ही रहते हैं। घर वालों की याद आने पर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कर लेते हैं।
आरक्षक से लेकर अफसर तक को खतरा
अस्पतालों में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर और नर्सों को वॉयरस से संक्रमित होने का जितना खतरा रहता है, उसी तरह का खतरा पुलिस वालों को भी रहता है। दिनभर कई स्थानों पर जाना, लोगों से बातचीत करना, भीड़भाड़ में जाना आदि काम के दौरान संक्रमण की चपेट में आने की आशंका पुलिस वालों को ज्यादा रहती है। इसलिए आरक्षक से लेकर पुलिस अफसरों को अलर्ट रहने कहा गया है।

Tuesday 7 April 2020

कोरोना का रायता और दर्द अपना-अपना-4

नेता भैया और नए उगे समाज सेवक


अपने अंदर छुपी प्रतिभा को उभारने का अवसर हर इंसान को मि
लता है। कुछ कर्मवीर तो सूखे में भी कुंआ खोदकर नदिया बहा देते हैं। ऐसी प्रतिभा केवल नेताओं और नेतानुमा लोगों में ही पाई जाती है। मौका कोई भी हो। खुशी हो या दुख का, उसे एक सुनहरे अवसर के रूप में बदल लेते हैं। इसमें वे महारत होते हैं। अब कोरोना वॉयरस संक्रमण से बने हालात को ही ले लीजिए। लोग वॉयरस से संक्रमित भले नहीं हैं, लेकिन मानसिक और आर्थिक क्षति के चलते शारीरिक क्षति की ओर बढ़ रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी ने भी नेता भैया और नेतानुमा भैया को सुनहरा अवसर दे दिया है। मदद के बहाने सुबह-शाम घरों और मोहल्लों में पहुंच रहे हैं। लोगों के हमदर्द बनकर। नेता भैया और नेतानुमा भैया ने अपने निठल्ले चमचों को भी इसी काम में लगा दिया है। निठल्ले सुबह से उठते हैं और घूम-घूमकर लॉकडाउन के साइड इफैक्ट से पीडि़त गरीबों को ढूढ़ते हैं, ताकि उनकी कुछ मदद करते हुए अगले दिन अखबारों में नेता भैया का चेहरा चमक जाए। या किसी अपरिपक्व इलेक्ट्रानिक-वेबपोर्टल में दिख जाए।
सेवाभाव की क्रांति..
लॉकडाउन के बाद शहर में नेता भैया और नेतानुमा भैया के अलावा बड़ी संख्या में समाज सेवक उग आए हैं, जिन्हें किसी तरह की वैचारिक, सांस्कृतिक खाद नहीं मिली है। केवल मौका देखा और उग आए। शहर में इन दिनों इतने समाज सेवक दिख रहे हैं कि जरूरतमंदों और गरीबों का टोटा हो गया है। जिधर देखो
उधर समाज सेवक सामान बांटने के लिए घूमता नजर आ रहा है। नेता भैया और नेतानुमा भैया के साथ इतने सारे समाज सेवक सक्रिय हैं, मानो सेवाभाव की क्रांति आ गई है।
फोटो खींचवाना जरूरी
नेता भैया, नेतानुमा भैया और अभी-अभी उगे समाज सेवक अपने चेले चपाटियों के साथ आठ-दस लोगों का भोजन, पानी, मास्क, राशन जो भी सस्ता हो, लेकर निकलते हैं। और किसी मोहल्ले में जो भी मिल जाए, उन्हें बांटते हैं। सामान बांटते हुए फोटो जरूर खींचवाते हैं। फोटो खिंचवाते तक वितरण जारी रहता है, जैसे ही फोटो सेशन खत्म होता है। धीरे से वितरण कार्यक्रम भी समाप्त हो जाता है।
दो नेता भैया में कॉम्पीटिशन
लॉकडाउन के चलते नेता भैयाओं में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने और सेवा भाव दिखाने की होड़ लग गई है। सभी ने अपने निठल्लों को इसी काम में लगा दिया है। कोई नेता भैया नगदी दान कर रहा है, तो कोई राशन, तो कोई कुछ और। सभी को चिंता है कि कोई उससे आगे न निकल जाए। रायपुर के थोड़ा पुराने नेता भैया और कुछ दिन पहले बड़े नेता बने नेता भैया में जबरदस्त काम्पीटिशन चल रहा है। एक नेताभैया अपने इलाके में सक्रिय है, तो दूसरा नेता भैया पूरे रायपुर में घूम रहे हैं। दोनों में एक बात समान है कि दोनों फोटो अच्छा खिंचवाते हैं।
यहां क्यों नहीं करते ??? 
शहर की कई कॉलोनी, बस्ती और मोहल्लों में ऐसे लोग हैं, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है और रोज कमाते हैं, तब उनके घर चूल्हा जलता है। हर वार्ड में ऐसे सैकड़ों लोग हैं। क्या उन घरों में राशन पहुंच रहा है? क्यों उनके घर कोई बीमार है? हर पार्षद अपने इलाके में घूम-घूमकर यह देख सकता है और उनकी मदद कर सकता है।
अब दर्द की बात
जिस तरह से नेता भैया, नेतानुमा भैया और नए उगे समाज सेवक सक्रिय हो गए हैं, उससे सोशल डिस्टेंसिंग का मैनेजमेंट गड़बड़ा गया है। ऐसा न हो कि मदद के चक्कर में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाए। प्रशासन का दर्द है कि इन नेता भैया और नेतानुमा भैया को कैसे सोशल डिस्टेंसिंग समझाएं? नए उगे समाज सेवकों को तो एक बार समझा भी सकते हैं, लेकिन असली दर्द तो नेता और नेतानुमा भैया की है। उनका क्या किया जाए?

कोरोना से देश में 114 की मौत, चार हजार से ज्याद संक्रमित

रायपुर. कोरोना वॉयरस का संक्रमण देशभर में तेजी से फैल रहा है। इससे भारत के 31 राज्य प्रभावित हैं। मंगलवार तक देश में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या कुल 114 तक पहुंच गई है। और संक्रमितों की संख्या चार हजार से अधिक पहुंच गई है। दूसरी इस मामले अभी छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहतर है। प्रदेश में अभी तक कुल 2764 लोगों का कोरोना संक्रमण की जांच के लिए सैंपल लिया गया था। इनमें से 2620 लोगों की जांच रिपोर्ट निगेटिव मिली है। और 134 लोगों की अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।
केवल एक संक्रमित
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल एक कोरोना संक्रमित मरीज है। उसका एम्स में उपचार चल रहा है। उसे कोरबा से भर्ती कराया गया है। वह नाबालिग है। दूसरे राज्यों के मुकाबले प्रदेश में स्थिति सामान्य है।
दुनिया में 60 हजार से की मौत
कोरोना वॉयरस की चपेट में आने से पूरी दुनिया में 67 हजार 594 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें पश्चिमी देशों के नागरिक ज्यादा है। और कोरोना से संक्रमितों की संख्या 12 लाख 10 हजार 956 पहुंच चुकी है। उनका उपचार जारी है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वॉयरस चीन के वुहान शहर से फैला था, जो अब तक कई देशों में पहुंच चुका है। 

Sunday 5 April 2020

कोरोना का रायता और दर्द अपना-अपना-3

मयखानों की खामोश दहाड़...और हिल गई सरकार


धर्मग्रंथ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मस्जिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादरियों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।
कालजयी रचना मधुशाला की इन पंक्तियों में डा. हरिवंश राय बच्चन ने मदिरालाय आने वालों को धार्मिंक बंधनों से मुक्त बताया है। सही भी है। मयखाने में आने वाला जैसे ही दो पैग गले से नीचे से उतारता है, वह जाति-धर्म विहीन हो जाता है। उसके अंदर से ज्ञान की गंगा बहने लगती है। और कुछ लोगों के ज्ञान की गंगा को उलटी दिशा में भी बहने लगती है। खैर इस विषय पर लंबी चर्चा हो सकती है। हम बच्चन साहब की मधुशाला को पकड़ते हैं। मधुशाला की तरह सरकारें भी मयखानों को हर बंदिशों-नियमों से दूर रखना चाहती है। चाहे लॉकडाउन जैसे हालात ही क्यों न हो। यह मदिराप्रेमियों के दारू के प्रति अथाह प्रेम का ही नतीजा है। सरकार इस प्रेम का दिल खोलकर सम्मान करना चाहती है। और जुगाड़ में लगी भी है कि लॉकडाउन खत्म होने से पहले ही सूने पड़े मदिरालाय आबाद हो जाए। गुलजार हो जाए। 
खामोश दहाड़...
किसी व्यवस्था को बंद या शुरू कराने के लिए लोगों को काफी शोर मचाना पड़ता है। उनकी आवाज सड़क से लेकर संसद तक गूंजती है। तब कुछ बदलाव हो पाता है, लेकिन हमारा प्रदेश इतिहास रचने की तैयारी में है। लॉकडाउन में शराब दुकानें खोलने की तैयारी है। यह एक बदलाव है। यह बदलाव शोर, हंगामे की वजह से नहीं बल्कि एक खामोशी

Friday 3 April 2020

लॉकडाउन में घूमने वालों को पहलवान डीएसपी दे रहे हैं कसरत करने की सजा

रायपुर पुलिस में एक पहलवान डीएसपी से शहर के युवक खौफ खाने लगे हैं। जिधर पहलवान डीएसपी तैनात रहते हैं, उधर गाड़ी लेकर गुजरने से कतराते हैं। सोचते हैं कि डीएसपी साहब की नजर पड़ जाएगी, तो पता नहीं कितना कसरत करवाएंगे? दरअसल डीएसपी साहब ने लॉकडाउन के बीच बिना वजह घूमने वाले युवाओं को अनोखे ढंग से सजा देना शुरू कर दिया है। जहां वे तैनात रहते हैं, उस चौराहे पर कोई युवक बेवजह घूमते या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करता मिल जाता है, तो सजा के तौर पर उन युवकों से कसरत करवाते हैं। कसरत ऐसा करवाते हैं कि चंद मिनटों में ही युवकों की सांसें  फुल जाती है। इसके बाद डीएसपी साहब की डांट अलग से पड़ती है।
एसआरपी चौक में तैनात डीएसपी सतीश सिंह ठाकुर ने रोजना की तरह ट्रैफिक नियम तोडऩे वाले और बेवजह घूमने वाले युवकों का चालान काटने के बजाय अब उन्हें मौके पर ही कसरत करने की सजा देना शुरू कर दिया है। जो भी युवक गलती करता है, उससे पुशअप करवाते हैं। इसके पीछे उनकी मंशा है कि सजा के बहाने युवक कसरत करेंगे। इससे उनका शरीर भी बनेगा। सबके सामने कसरत करने से उन्हें अपनी गलती का एहसास भी होगा। उल्लेखनीय है कि डीएसपी ठाकुर भी रोज दो घंटे कसरत करते हैं। कोरोना वॉयरस के चलते शहर में लॉकडाउन किया गया है।


छत्तीसगढ़ में कोरोना मरीजों की संख्या एक और कम हुई

एक और युवती को किया गया डिस्चार्ज
छत्तीसगढ़ के लिए अच्छी खबर है। राज्य के कोरोना मरीजों की संख्या में कमी आई है। एक और मरीज ठीक हो गया है। उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उसकी रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। प्रदेश में अब केवल 5 मरीज हैं।
उल्लेखनीय है कि रायपुर की पहली कोरोना मरीज युवती की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद शुक्रवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे गई। पिछले दिनों 9 कोरोना मरीज पाए गए थे। इनमें से तीन ठीक हो गए थे। अब एक और ठीक हो गई। अब केवल 5 मरीजों का उपचार चल रहा है। 

कोरोना का रायता और दर्द अपना-अपना-2


देशी स्टाइल


पुलिस विभाग का अनुशासन और खिदमतगिरी को दूसरे विभागों के लिए नजीर के तौर पर पेश की जाती है। इसकी वजह भी है। पुलिस विभाग में अनुशासन और खिदमतगिरी नीचे से ऊपर की ओर ही चलती है। ऊपर से नीचे कभी नहीं आती। ऊपर से केवल फरमान आते हैं। फरमान भी ऐसा कि चित भी बड़े साहब का और पट भी उन्हीं का। 
कोरोना वॉयरस संक्रमण से विदेश के बाद अब देश भी झुलसने लगा है। हमारा शहर भी इससे अछूता नहीं रहा। कोरोना संक्रमण से बचाने किए गए उपायों के तहत कुछ दिन पहले जारी एक फरमान ने शहर के कई थानेदारों का सुखचैन छिन लिया है। सुबह से देर शाम तक उसके पालन में सिर खपाते हैं। पूरी मानसिक और शारीरिक क्षमता लगाने के बाद शाम होते-होते इलाका सामान्य हो जाता है। अगले दिन फिर वही नजारा रहता है। सड़कों पर तितर-बितर आते-जाते लोग। इन्हें देखकर थानेदारों का पारा चढ़ जाता है। कुछ थानेदारों के हाथों में तो खुजली तक होने लगती है। अफसोस उनको खुजली मिटाने का मौका नहीं मिल पाता। ऐसा पिछले कई दिनों से चल रहा है।
आइये इस दर्द में थोड़ा और आगे बढ़ते हैं।
दरअसल जारी हुए फरमान का निचोड़ यह है कि लोगों में सोशल डिस्टेंस बढ़ाना और बेवजह सड़कों पर तफरीह करने वालों की संख्या घटाना है। पहले वाले को बढ़ाना और दूसरे वाले को घटाना हमारे रायपुर वाले अपनी तौहिन से कम नहीं समझते हैं। रायपुर वाले काफी सोशली अटैचड हैं और तफरीह करने में भी आगे हैं। चाहे उसका कारण हो या अकारण। भाई लोग कहीं भी निकल पड़ते हैं।

ऐसे न थे बड़े साहब

सब जनता कफ्र्यू का किया धरा है। प्रधानमंत्रीजी के ओजस्वी भाषण और अपील का असर पुलिस विभाग में जोरदार हुआ। दूसरी ओर जनता कफ्र्यू खत्म होने की खुशी में अगले दिन जनता भी दोगुनी फुर्ति से सड़कों में निकल पड़ी। यह देखकर बड़े साहब को प्रधानमंत्रीजी का शतप्रतिशत लॉकडाउन याद आ गया। उन्होंने एक असरदार फरमान जारी किया। फिर क्या था। उस दिन छोटे साहब, मध्यम साहब, थानेदार सभी ने मिलकर देशी स्टाइल का ऐसा प्रदर्शन किया कि रायपुर वालों की सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ गई और तफरीह की आदत भी ठिकाने लग गई। देशी स्टाइल की गूंज नेतानगरी में होने लगी। इसका असर यह हुआ कि अचानक बड़े साहब ने धीरे से दूसरा फरमान जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि देशी स्टाइल का प्रदर्शन किए बिना रायपुर वालों की सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाना और तफरीह घटाना है।

दर्द की दवा क्या है?

जैसे ही अगले दिन पुलिस ने देशी स्टाइल बंद किया रायपुर वाले फिर अपने स्टाइल में आ गए। सोशल अटैचमेंट भी बढ़ा लिया और तफरीह भी क
रने लगे। सोशल अटैचमेंट इतना बढ़ा लिया कि अपने घर में सब्जी की जरूरत नहीं है, तो पड़ोसी के लिए खरीदने निकल पड़े। तफरीह का चस्का ऐसा कि सब्जी या राशन अपने मोहल्ले में उपलब्ध है, फिर भी दूसरे इलाके में जा रहे हैं।
अब थानेदारों का दर्द है कि बिना देशी स्टाइल के कैसे सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाया जाए? कैसे सड़कों में भीड़भाड़ कम किया जाए.....????

Wednesday 1 April 2020

कोरोना का रायता और दर्द अपना-अपना-1

खुशी का मौका हो या तकलीफ का समय किसी न किसी रूप में पुलिस की उपस्थिति बन ही जाती है। फिलहाल देश-प्रदेश में कोरोना की तकलीफ है। तकलीफ का समय है, तो पुलिस की उपस्थिति लाजिमी है। इस तकलीफ के जन्म से लेकर रोकथाम तक पुलिस का दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है, फिर भी मैदान में पुलिस ऐसे डटी है, जैसे सबकुछ उसी का किया धरा है। और अब उसी को सुधारना है। लगता है कि कोरोना को फैलने से रोकने की जिम्मेदारी पुलिस के सिर पर ही है। कोरोना के रायता को फैलने से रोकने सब जुटे हुए हैं, लेकिन सबका अपना-अपना दर्द है। आज एक सिपाही का दर्द देखते हैं।

राजधानी रायपुर का हृदयस्थल जयस्तंभ चौक। लॉकडाउन वाला दिन। अचानक वॉयरलेस से पाइंट चला कि शहर में भीड़ बढ़ रही है। इसे नियंत्रित करना है। अनान-फानन में की गई व्यवस्था के तहत एक सिपाही भी अपने साथियों के साथ में चौक पर तैनात हुआ। साहब के आदेशानुसार उसे हर दोपहिया, चौपहिया वालों को रोकना और अनावश्यक होने पर उन्हें वापस उनके घर भेजना है।
चौक में एक कार वाला
पहुंचा। कार में तीन लोग सवार थे। एक अधेड़ और दो युवा। सिपाही ने उनसे विनम्रता से पूछता है कि-आप लोग बाहर क्यों निकले हो? शहर में धारा-144-1 लगा है और लॉकडाउन भी है। आप लोग घर चले चले जाएं। सिपाही के सवाल पर अधेड़ थोड़ा घबराया। फिर तपाक से जवाब दिया कि घर में पत्नी बीमार हैं। उसकी दवाई लेने जा रहा हूं। वह पर्ची भी दिखाया। पर्ची देखकर सिपाही ने कहा-आप दवा लेने जा रहे हैं, लेकिन साथ में ये दो लोग क्यों हैं? सिपाही के प्रश्न का उसके पास कोई जवाब नहीं था। बोला-रिश्तेदार हैं। साथ आ गए। यह सुनकर सिपाही ने नाराजगी जाहिर करते हुए घर वापस जाने के लिए कहा। फिर मेडिकल की पर्ची देखकर जाने दिया, लेकिन इससे पहले कोरोना संक्रमण से बचने और सावधानी बरतने की चेतावनी भी दी।
कुछ देर बाद बाइक सवार दो युवक पहुंचे। चलाने वाले ने हेलमेट पहन रखा था, लेकिन चेहरे पर मास्क नहीं लगाया था। सिपाही ने दोनों से बाहर निकलने का कारण पूछा। बाइक चलाने वाले ने कहा-राशन लेने जा रहे हैं। सिपाही-मास्क क्यों नहीं लगाए हो? बाइक चालक-भूल गया। यहीं पास में सामान खरीदना है। इसलिए नहीं लगाया। यह सुनकर सिपाही ने उन्हें भी कोरोना संक्रमण और कानून व्यवस्था याद दिलाया। युवक उसकी बात को गंभीरता से नहीं ले रहे थे। सिपाही यह भांप गया। इससे उसे गुस्सा भी आया, लेकिन उसने दोनों युवकों को राशन लेने के बाद सीधे घर जाने की हिदायत देकर जाने दिया।
चौक में आवाजाही बढ़ रही थी। इधर अफसरों का वॉयरलेस सेट में लोगों को उनके घर वापस भेजने के लिए लगातार मैसेज चल रहा था। इस बीच सिपाही को यूरीन जाने की जरूरत महसूस हुई। चौक से कुछ सार्वजनिक यूरीनल था। उसे चेकिंग छोड़कर थोड़ा दूर जाना पड़ता। चौक से गुजरने वाले वाहनों की संख्या बढ़ती ही जा रही थी। सिपाही के दूसरे साथी अकेले संभाल नहीं पा रहे थे। सिपाही ने थोड़ी देर यूरीन को कंट्रोल करने का निर्णय लिया। और वाहनों को रोकने में लगा रहा।
इस बीच चौक में एक और कार पहुंची। कार चलाने वाला सफेद कुर्ता-पायजामा पहना था। चेहरे पर हल्की दाढ़ी-मंूछ थी। हुलिए से किसी राजनीतिक दल का अनियंत्रित कार्यकर्ता लग रहा था। उनके साथ तीन और लोग थे। सिपाही ने उनसे विनम्रता से पूछा-कहां जा रहे हैं? कार चालक ने अकड़कर कहा-टाटीबंध। सिपाही-क्यों जा रहे हैं? कार चालक-थोड़ा काम है। सिपाही-क्या काम है? कार चालक थोड़ा और अकड़ते हुए-बस कुछ काम है। दूसरी बार भी एक जैसा जवाब और उनकी अकड़ देखकर सिपाही का दिमाग गर्म होने लगा। उसने कहा कि कोरोना वॉयरस के संक्रमण से बचने पुलिस ने धारा-144-1 लगाया है और लॉकडाउन भी है। ऐसे में बिना जरूरी काम के नहीं निकल सकते। आप लोगों पर कार्रवाई हो सकती है। सिपाही की बात सुनकर कार में बैठे तीन अन्य लोग रौब झाड़ते हुए कहने लगे कि-अरे भाई हमें मत बताओ कानून। हम लोग पार्टी से हैं। टाटीबंध में कुछ लोगों को खाना खिलाने जा रहे हैं? ज्यादा है, तो आपके साहब से बात करा दूं? यह सुनकर सिपाही की जुबान तो शांत हो गई, लेकिन दिमाग का टेंपरेचर और बढ़ गया। और उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न इन चारों को कानून का लाठी वाला पाठ पढ़ाया जाए। फिर चंद सेकंड में ही सिपाही अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और उन अनियंत्रित कार्यकर्ताओं को मुस्कुराते हुए विदा किया।
चौक में वाहनों की आवाजाही थोड़ी कम होने लगी, तो सिपाही अपने साथी सिपाही को इशारा करके मूत्रालय की ओर बढऩे लगा। इस बीच दूर से कुछ गाडिय़ां फिर आती दिखीं, तो सिपाही को देखते हुए उसके ऊपर वाले साहब ने जोर से आवाज लगाई। अरे गाडिय़ां आ रही हैं। इन्हें रोको और वापस भेजो। सालों की आज ही बारात निकल रही है। साहब का आदेश कानों में गूंजते ही सिपाही यूरीन जाना भूल गया और आधे रास्ते से दौड़कर फिर पाइंट पर पहुंच गया। अब सिपाही के दिमाग में दो बातें घूमने लगी। पहला यूरीन को कैसे रोकूं और दूसरी बात धारा 144-1 और लॉकडाउन होने के बाद भी पढ़े-लिखे लोग घर से बाहर क्यों निकल रहे हैं? इनको कैसे रोका जाए?
दिमाग में दो बातें चल ही रही थी कि एक मोपेड सवार एक अधेड़ पहुंचा। सिपाही ने उन्हें रोका और बाहर निकलने का कारण पूछा। मोपेड सवार ने कहा-सब्जी लेने गोलबाजार जा रहा हूं। सिपाही ने कहा-सब्जी किसमें रखोगे? दिखाओ थैला। अधेड़ ने मोपेड की डिक्की खोली। उसमें थैला नहीं था। सिपाही को शक हुआ कि झूठ बोल रहा है। उसने अधेड़ को समझाया कि धारा-144-1 का पालन करें। बेवजह घूमने और भीड़ में जाने से आप कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। इससे आपकी जान को खतरा हो सकता है। यह सुनकर अधेड़ अपनी दांत निकालकर हंसने लगा। साहब आज जाने दो न। कल से सावधानी बरतूंगा। सिपाही ने उसे थोड़ा चमकाया, फिर उसे भी जाने दे दिया।
कार वाले, दोपहिया वाले लगातार आते रहे। सभी कभी मेडिकल, तो कभी सब्जी का बहाना करते रहे। यह देखकर सिपाही का दिमाग गर्म हो चुका था। उसके मन में फिर ख्याल आया कि ये सब पढ़े-लिखे-शिक्षित लोग लातों के भूत हैं, बातों से नहीं मानेंगे। इस बीच भीड़ और बढऩे लगी, तो सिपाही के बड़े साहब का दिमाग भी गर्म हो गया। अब उन्होंने सिपाही को हड़काते हुए कहा कि कुछ भी करों, यहां से कोई गाड़ी वाला नहीं गुजरना चाहिए। सिपाही पहले से अपने दर्द से परेशान था, अब साहब के हड़काने से उसका दर्द और बढ़ गया। फिर क्या था सिपाही ने अपना देशी स्टाइल शुरू कर दिया। जो भी गाड़ी वाला दिखा, उसके पिछवाड़े पर डंडा घुमाना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में सिपाही के डंडे की शोर दूसरे चौराहे तक पहुंच गई। लोगों में हल्ला मच गया कि जयस्तंभ चौक से गाड़ी लेकर गुजरने वालों को सिपाही लाल कर रहा है। हल्ला क्या मचा, लोगों ने उधर आना ही छोड़ दिया और थोड़ी देर बाद चौक की ओर वाहनों का आना बंद हो गया। और सिपाही आराम से यूरिन करने जा सका ।
अब क्या होगा? 
ड्यूटी खत्म होने के बाद सिपाही घर पहुंचा। आराम करने लगा। सोने से पहले उसके दिमाग में दिनभर के घटनाक्रम जुड़े दृश्य घूमने लगे। इस दौरान उसने देखा कि लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने वाहन चालकों को वापस भेजते समय वह उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है, लेकिन ड्यूटी के दौरान वह स्वयं कई चूक कर बैठा है। जैसे गाड़ी पर हाथ लगाना, वाहन चालकों के दस्तावेज देखना, बातचीत के दौरान सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं कर पाना, मास्क और टोपी को निकालना, बार-बार हाथ को सेनीटाइज नहीं करना आदि...अब उसका क्या होगा?

अंत में एक सवाल...क्या जमीनी स्तर पर तैनात सिपाही जैसे अन्य कर्मियों के दर्द को सभ्य समाज कम कर सकता है???