Thursday 21 May 2020

छत्तीसगढ़ में तेजी से पैर पसार रहा कोरोना वॉयरस, रायपुर में फिर मिला संक्रमित

0 गुरुवार दोपहर तक 11 नए मरीज और मिले
0 बुधवार को एक ही दिन में मिले थे 14 मरीज
0 राजधानी रायपुर में मिला कोरोना संक्रमित
रायपुर

बाहर से आने वालों  की लापरवाही और शासन की अनदेखी लोगों पर भारी पड़ रही है । प्रवासी मजदूरों का सोशल डिस्टेंसिंग का पालन  नहीं होना और कोटा से लौटे विद्यार्थियों को पुरे 14 दिन क्वारेंटाइन न करने और उसकी निगरानी मेंं लापरवाही बरतने का खामियाजा सामने आ रहा है.इससे कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। छत्तीसगढ़ में कोरोना वॉयरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। प्रदेश में गुरुवार को कोरोना संक्रमितों की संख्या 67
हो गई। दोपहर 12 बजे तक 11 नए कोरोना मरीज मिले। रायपुर के सड्ढू इलाके में भी 1 नया मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है। इसके अलावा बालोद में 1, जांजगीर में 3, राजनांदगांव में 4 और सरगुजा व कांकेर में 1-1 मरीज मिले। इस तरह गुरुवार को दोपहर तक कुल 11 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। इससे पहले बुधवार को 14 नए मरीज मिले थे, जिनमें बालोद और बलौदाबाजार में 2-2, राजनांदगांव और रायगढ़, सरगुजा में 1-1, मुंगेली में 1 कोरोना पॉजीटिव मिले थे। देर शाम को बिलासपुर में कोरोना वॉयरस से संक्रमित 5 और लोगों का पता चला है। प्रदेश में अब तक कुल 126 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं, जिनमें से 59 ठीक हो चुके हैं।  
छात्रों का क्वारेंटाइन क्यों घटाया
राजस्थान के कोटा से लौटे छत्तीसगढ़ के 2 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को शासन ने केवल 7 दिन क्वारेंटाइन में रखा गया। इसके बाद सभी को अपने-अपने घर भेज दिया गया। जबकि दूसरे लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर में 14 और 21 दिन रखा जा रहा है।  लेकिन क्वारेंटाइन के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए शासन ने इन विद्यार्थियों को उनके घर भेज दिया। अब इन्हीं में से राजिम की एक छात्रा कोरोना वॉयरस से संक्रमित पाई गई है। कोटा  से आने के बाद वह किस-किस स्थान पर गई और अपने कितने रिश्तेदारों से मिली? और मोहल्ले में कहां-कहां गई? इसकी जांच हो रही है। संक्रमित छात्रा की ही कोटा से लौटे अन्य छात्र-छात्राओं को लेकर भी आशंका बढ़ गई है। अब सवाल उठता है कि आखिर शासन ने सभी विद्यार्थियों को क्वारेंटाइन के नियमानुसार 14 या 21 दिन क्यों नहीं रखा? आखिर शासन की क्या मजबूरी थी? जो इतने सारे विद्यार्थियों को उनके घरों में वापस भेजा गया। इससे अब प्रदेश के आम लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है।
CORONA COVID-19 क्या है और कैसे फैलता है
पैसे वालों के आगे झुकी सरकार
राजस्थान के कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाओं की तैयारी के लिए बड़ी संख्या में देशभर के छात्र-छात्राएं ट्यूशन करने जाते हैं। इसकी फीस लाखों रुपए होती है। अब लाखों रुपए फीस देकर ट्यूशन कराना प्रदेश के आम लोगों के बस की बात, तो है नहीं। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश के नेताओं, अफसरों, कारोबारियों और पूंजीपतियों के बच्चे ही कोटा में ट्यूशन करने गए थे। कोरोना का संक्रमण फैला, तो उन विद्यार्थियों को सुरक्षित वापस लाने का दबाव बढ़ा। चूंकि उनमें ऐसे लोगों के बच्चे भी थे, जो सीधे शासन-प्रशासन में बैठे लोगों के थे। इस कारण सरकार ने रातोंरात उन विद्यार्थियों को लाने के लिए लग्जरी बसें भेज दीं। और 2 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को वापस ले आए।
कोरोना वॉयरस ही नहीं अब कोरोना बीयर से भी लोग खा रहे खौफ
क्वारेंटाइन इसलिए नहीं किया
सूत्रों के मुताबिक विद्यार्थियों को प्रदेश में लाने के बाद उन्हें स्थानीय छात्रावासों में नियमानुसार पूरी अवधि तक क्वारेंटाइन करने का निर्णय लिया गया। विद्यार्थियों को उनमें  ठहराया गया, लेकिन सरकारी छात्रावासों में बाथरूम, पानी और बिजली की व्यवस्था देखकर रईसजादों को नींद नहीं आई। यह बात सरकार तक पहुंची। इसके बाद क्वारेंटाइन की अवधि केवल 7 दिन कर दिया गया, ताकि रईसजादों को किसी प्रकार की तकलीफ न हो। इसके बाद उन्हें उनके घर भेज दिया गया। गौर करने वाली बात है कि इन्हीं सरकारी छात्रावासों में हमारे प्रदेश के 90 फीसदी लोगों के बच्चे रहकर पढ़ाई करते हैं। और अपना भविष्य गढ़ते हैं। इन हॉस्टलों में रईसजादों के औलाद क्वारेंटाइन की अवधि भी नहीं बिता पाए।  इससे नेताओं और अफसरों के उन दावों की भी पोल खुलती है, जो सरकारी हॉस्टलों और स्कूलों को सर्वसुविधायुक्त और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर वाला होने का दावा करते हैं।
मजदूरों के आने के बाद बढ़ा ग्राफ
मार्च, अप्रैल और मई के दूसरे सप्ताह तक प्रदेश में कोरोना वॉयरस का संक्रमण नियंत्रित स्थिति में था, लेकिन अब तेजी से संक्रमण फैल रहा है। खासकर प्रवासी मजदूरों के घर लौटने के बाद से कोरोनो संक्रमितों का ग्राफ बढ़ा है। मजदूरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. दूसरी ओर क्वारेंटाइन को लेकर भी लोगों की लापरवाही सामने आ रही है। खासकर ग्रामीण इलाकों में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों की निगरानी नहीं हो पा रही है। मजदूर अपने रिश्तेदारों से मिल रहे है.  वहां खाने-पीने की व्यवस्था को लेकर लोगों की नाराजगी सामने आ रही है। इसी के चलते बिलासपुर के क्वारेंटाइन सेंटर में रहने वालों का विवाद भी हुआ था। 
रायपुर हो सकता है रेड जोन में
रायपुर अभी ऑरेंज जोन में था, लेकिन एक और मरीज मिलने से यह रेड जोन में चला जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कोरोना संक्रमित युवक कुकुरबेड़ा में मिला था, जिसके बाद से उस इलाके को सील कर दिया गया था। और रायपुर को आरेंज जोन में चला गया था। अब एक और मरीज मिलने से रेड जोन में शामिल हो जाएगा। हालाँकि इसकी घोषणा शासन ने अभी नहीं किया है.
अब तक कहां कितने मरीज मिले
जिला  मरीजों की संख्या
कोरबा-28
बालोद-14
जांजगीर-14
दुर्ग-10
राजनांदगांव-10
कबीरधाम-8
बलौदाबाजार-8
रायपुर-8
सूरजपुर-7
बिलासपुर-6
रायगढ़-5
सरगुजा-3
कोरिया-1
गरियाबंद-1
मुंगेली-1
कांकेर-1
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